प्रेममय व्यक्ति आदर्र्शो की उपासना करता है। उसके लिए सारी बाहरी शंकाएं निर्मूल हो जाती हैं। स्वामी विवेकानंद का चिंतन.. हर एक व्यक्ति अपना आदर्श सामने लाता है और उसी की उपासना करता है। बाहृय जगत, हम जो कुछ देखते हैं, वह सब हमारे मन से ही बाहर निकलता है। सीप के कीटक (कीड़े) के
via जागरण संत-साधक
http://www.jagran.com/spiritual/sant-saadhak-vivekanandas-musings-love-light-10863490.html
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