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Friday, December 27, 2013

शुभ-लाभ लिखने से क्यों मिलती है देवी-देवताओं की कृपा?

उज्जैन। जब भी घर में कोई पूजन कर्म होता है तो उस समय मुख्य द्वार के दोनों ओर शुभ और लाभ लिखा जाता है। हर मांगलिक कार्य में स्वस्तिक बनाने के साथ ही शुभ-लाभ भी लिखा जाता है। सिंदूर या कुमकुम से शुभ और लाभ लिखने के पीछे ऐसी मान्यता है कि इससे श्रीगणेश और महालक्ष्मी सहित सभी देवी-देवता प्रसन्न होते हैं। शास्त्रों अनुसार गणेशजी के दो पुत्र माने गए हैं, एक क्षेम अर्थात शुभ और दूसरे पुत्र का नाम है लाभ। घर के बाहर शुभ-लाभ लिखने का मतलब यही है कि हमारे घर में सुख और समृद्धि सदैव बनी रहे। ऐसी प्रार्थना ईश्वर से की जाती है। शुभ (क्षेम) लिखने का भाव यह है कि हम प्रार्थना करते हैं कि जिन साधनों, कला या ज्ञान से धन और यश प्राप्त हो रहा है वह सदैव बना रहे। लाभ लिखने का भाव यह है कि भगवान से हम प्रार्थना करते हैं कि हमारे घर की आय अथवा धन हमेशा बढ़ता रहे, लाभ होता रहे। श्रीगणेश की कृपा से हमारा व्यवसाय और स्रोत सदैव बढ़ते रहे।




via Dainik Bhaskar

http://religion.bhaskar.com/article/AK-jyts-know-the-importance-of-shubh-labh-4475999-NOR.html

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