अद्वितीय, अलौकिक, अद्भूत। ये शब्द गिरिराज प्रभु की झांकी को निहारते श्रद्धालुओं के होठों से बरबस ही फूट रहे थे। दिव्य भूमि पर अलौकिक अहसास कराता पुष्पों से सजा फूल बंगला, 1100 थालों में सजे छप्पन भोग, हीरे-माणिक, पन्ना और मोती आदि जवाहरात से सजकर तिरछी चितवन से निहारते गिरिराज प्रभु। शहनाई मंगल बधाई गाने लगीं, बैं
via जागरण धर्म समाचार
http://www.jagran.com/spiritual/religion-lord-giriraj-performed-divine-smile-10964068.html
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