देवाधिदेव महादेव और प्रभु राम दोनों भजते एक दूजे का नाम। हर कार्य से पहले एक दूसरे की आराधना। धर्मग्रंथ ऐसे प्रसंगों से भरे पड़े हैं, काशी वासी भी इस अपनापे को हृदय में युगों से समेटे खड़े हैं। रामनवमी पर जन्म के सोहर गाते तो सियाराम विवाह का मौका भले कैसे चूक जाते। इधर खड़े तो घराती और उधर बढ़े तो बराती बन जात
via जागरण धर्म समाचार
http://www.jagran.com/spiritual/religion-ram-marriage-so-grati-standing-here-so-there-enlarged-baraati-10918315.html
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