उज्जैन। शास्त्रों के अनुसार भगवान के कई रूप बताए गए हैं और सभी देवी-देवताओं की पूजा की अलग-अलग विधियां हैं, अलग-अलग नियम हैं। पूजन पद्धितियों में भगवान की प्रतिमा या मंदिर की परिक्रमा का महत्वपूर्ण स्थान है। हम जब भी किसी मंदिर जाते हैं तो वहां की परिक्रमा अवश्य करनी चाहिए। परिक्रमा करने पर कई प्रकार के चमत्कारी लाभ प्राप्त होते हैं। यहां जानिए परिक्रमा से जुड़ी खास बातें और किस देवता की कितनी परिक्रमा करनी चाहिए। क्यों की जाती है परिक्रमा परिक्रमा की जाती है क्योंकि देवमूर्ति के आसपास दिव्य ओरा मंडल होता है और इस ओरा मंडल से सकारात्मक ऊर्जा ग्रहण करने के लिए हमें परिक्रमा करनी चाहिए। मंदिर में लगातार भगवान की पूजा और मंत्रों का उच्चारण होता रहता है, जिसका असर सदैव वहां के वातावरण में बना रहता है। शास्त्रों के अनुसार मंत्रों के उच्चारण मात्र से मन और वातावरण की शुद्धि होती है, पवित्रता बढ़ती है, ऊर्जा बढ़ती है, नकारात्मक शक्तियां निष्क्रीय हो जाती हैं। मंदिर के वातावरण से इन सब फायदों को ग्रहण करने के लिए परिक्रमा अवश्य करनी चाहिए। आगे जानिए...
via Dainik Bhaskar
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