वेद का अर्थ है ज्ञान। ऋग्वैदिक ऋषियों ने गंगा-सभ्यता की इन दिव्य रचनाओं के मंत्रों अर्थात श्लोकों को स्वयं का सृजन नहीं माना है, उन्होंने स्वयं को मात्र दृष्टा कहा है। अर्थात उन्हें उन मंत्रों (श्लोकों) की मात्र अनुभूति हुई। इन्हीं मंत्रों में गायत्री मंत्र भी सम्मिलित है, जिसे प्रमुख मंत्र की मान्यता
via जागरण संत-साधक
http://ift.tt/Kp8flV
0 comments:
Post a Comment