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Tuesday, January 21, 2014

आस्था की जड़ों ने दी मेले को 'संजीवनी'

बारिश, कीचड़, जलप्लावन, पानी की किल्लत, अनाज की किल्लत जैसी तमाम मुसीबतें। अव्यवस्था को दरकिनार कर गंगा, यमुना व अदृश्य सरस्वती के पावन संगम के तट पर बसा आस्तिकों का मेला सोमवार को अपने पूरे रौ में आ गया। पंडाल गुलजार हो गए। रासलीला, रामलीला व प्रवचन की बयार बह निकली। सड़कों पर दुकानें सज गईं तो पहली बार भीड़




via जागरण धर्म समाचार

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