बारिश, कीचड़, जलप्लावन, पानी की किल्लत, अनाज की किल्लत जैसी तमाम मुसीबतें। अव्यवस्था को दरकिनार कर गंगा, यमुना व अदृश्य सरस्वती के पावन संगम के तट पर बसा आस्तिकों का मेला सोमवार को अपने पूरे रौ में आ गया। पंडाल गुलजार हो गए। रासलीला, रामलीला व प्रवचन की बयार बह निकली। सड़कों पर दुकानें सज गईं तो पहली बार भीड़
via जागरण धर्म समाचार
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