सिर्फ चुप हो जाना मौन नहीं है। मौन द्वारा हम चेतना का स्पर्श करते हैं। यह हमारी संपदा है, जिसे सबके साथ बांटना चाहिए। मौनी अमावस्या (30 जनवरी) पर ओशो का चिंतन.. जो तुम्हारे पास हो, उसे बांटो। चुप्पी घनी हो रही हो, तो उसे बांटो। मौन बांटो। बड़ी संपदा है मौन की। मस्ती से भी बड़ी मस्
via जागरण संत-साधक
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