धर्म की कार्यशाला है कल्पवास। त्रिदेवों व शक्तिपीठों की भूमि प्रयाग प्राचीन काल से ही धर्म का क्षेत्र रही है। ऋषियों ने इस तपोभूमि पर यज्ञ करके संस्कृति को ऊर्जावान बनाया है। माघ मास में तीर्थराज का दर्शन, कीर्तन, दर्शन, मुक्ति दायक माना है। संत त्याग की प्रतिमूर्ति हैं। चाहकर भी हर व्यक्ति ऐसा त्याग नहीं कर सकता। ई
via जागरण धर्म समाचार
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