शुभ (अच्छे) काम शीघ्र करना और अशुभ (बुरे) काम न करने की जो शिक्षा हमारी आध्यात्मिक संस्कृति देती है, उसका तात्पर्य व्यक्ति को सकारात्मक बनाना है। क्योंकि सकारात्मक विचार ही व्यक्ति को अच्छे काम करने की प्रेरणा देते हैं.. मुख्यत: दो ही तरह के कार्य होते हैं। शुभ अथवा अशुभ। मान्यता है कि
via जागरण संत-साधक
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