देवाधिदेव महादेव, पालनहार और तारनहार भी लेकिन उनके दरबार की दरो दीवार ने स्वाभाविक तौर पर वक्त के तमाम वार सहे। कई भवन रखरखाव के अभाव में ढहे तो ऐसे तमाम स्थान जिनका अस्तित्व भी नहीं रहा। धर्मशास्त्रीय विधान से बने इस परिसर के इतिहास का न्यास परिषद स्केच बनवाएगी। इसके लिए पुरानी तस्वीरें और छाया चित्र जुटाएगी।
via जागरण धर्म समाचार
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