पश्चिमी मनोवैज्ञानिक जिसे बोध कहते और समझते हैं, वह बालबोध है। मनोवैज्ञानिकों की खोजें अभी अविकसित स्थिति में हैं। इनके द्वारा मानवीय चेतना के बाहरी एवं छिछले स्वरूपों का ही अध्ययन संभव हो सका है, जबकि वास्तविक ज्ञान की प्राप्ति तब होती है, जब हम आंतरिक गहरा
via जागरण संत-साधक
http://ift.tt/1kLq3nI
0 comments:
Post a Comment