मौसम में बदलाव के साथ ही बांकेबिहारीजी का भोग और पहनावा बदल गया है। अब उन्हें पंचमेवा और गरिष्ठ भोजन से परहेज हो गया है। भोग में पंचमेवा की मात्रा में कमी कर दी गई है और दूध, दही से बने व्यंजनों व माखन की मात्रा बढ़ गयी है। ठाकुर जी के दूध में केसर की भी मात्र कम कर दी गयी है। पहनावा भी बदल गया है। सनील की पोशाक की
via जागरण धर्म समाचार
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