वैज्ञानिकों का कहना है कि चौबीस घंटे में मनुष्य के द्वारा सांस के रूप में इतनी विषाक्त वायु बाहर निकलती है कि वह कई जीवों के लिए मृत्यु का कारण बन सकती है। अत: विषाक्त वायु को शरीर से बाहर फेंकने एवं प्रकृति में विद्यमान प्राणवायु को धारण करने के लिए ऋषियों ने प्राणायाम्
via जागरण संत-साधक
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