उज्जैन। देवी-देवताओं के पूजन में कई प्रकार की विशेष सामग्रियों का उपयोग किया जाता है। इन चीजों में शहद का भी महत्वपूर्ण स्थान है। पंचामृत बनाते समय दूध, दही, घी, शकर के साथ ही शहद भी मिलाया जाता है। शहद की तासीर ठंडी होती है और इसी वजह से शिवजी के अभिषेक में शहद मुख्य रूप से शिवलिंग पर अर्पित किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि देवी-देवताओं को शहद चढ़ाने से अच्छे स्वास्थ्य और सुखी जीवन का आशीर्वाद प्राप्त होता है। भगवान को शहद चढ़ाते समय यही भाव होने चाहिए कि हम भी शहद की तरह पवित्र और पुण्य कर्म करते रहे। हमारा चरित्र और व्यवहार भी शहद की तरह हो जाए। जिस प्रकार शहद पानी में आसानी से घुलता नहीं है और अपने गुणों को कम नहीं होने देता है। ठीक इसी प्रकार हमारा स्वभाव भी वैसा ही हो जाए, ताकि हम संसार में रहते हुए भी सांसारिक बुराइयों से बचे रहें। दरअसल, शहद को उसके गुणों के कारण पूजा में विशेष स्थान दिया गया है। शहद तरल होकर भी पानी में आसानी से घुलता नहीं है। यह संसार में रहकर भी संसार से अलग रहने का संदेश देता है। शहद को पंच तत्वों में आकाश तत्व का प्रतीक भी माना...
via Dainik Bhaskar
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