जीवित भगवान को देखना है तो घर में मां के रूप में देखो और पाषाण के भगवान को देखना है तो मंदिर में देखो। बाजार में सब कुछ मिल सकता है, लेकिन मां-बाप कभी नहीं मिल सकते हैं। यह बड़े पुण्य वालों को ही मिलते हैं। मां की परिक्रमा ही चारों धाम की परिक्रमा है। रामलीला मैदान में सोमवार को जैन मुनि पुलक सागर महाराज ने यह प्र
via जागरण धर्म समाचार
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