होली मुक्त व स्वच्छंद हास-परिहास का त्योहार है। नाचने-गाने, हंसी-ठिठोली और मौज-मस्ती की त्रिवेणी है होली। सुप्त मन की कंदराओं में पड़े ईष्र्या-द्वेष, राग-विराग जैसे कलुषित व गंदे विचारों को तन-मन से सदा के लिए निकाल बाहर फेंकने का सबसे सुंदर अवसर भी है होली। लगता है कि दुर्भावनाओं और मन में गहरे बैठ चुके मालिन्य को पूरी तरह से ि
via जागरण धर्म समाचार
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