जो सत्य है वही शिव है और जो शिव है वही सुंदर है। इसी प्रकार सत्य न तो विभक्त है और न ही भक्त। सत्य तो अखिल अस्तित्व में 'व्यक्त' है। यह 'व्यक्त' ही व्यक्ति होकर कभी श्रीराम तो कभी श्रीकृष्ण बनकर प्रकट हो जाता है और विभिन्न युगों में धरती पर अवतार लेकर मानव का कल्याण करते हैं। श्रीराम और श्रीकृष्ण ही 'वक्तत्व' होकर रामायण और गीता ह
via जागरण धर्म समाचार
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