Loading...
Monday, April 28, 2014

क्या गंगा का जल आचमन योग्य भी नहीं रहा

आप मानें न मानें मर्जी आपकी मगर गंगधार की कलकल को लोरियों की तरह सुनते हुए सयाने बने काशीवासी जानते हैं कि आज गंगा नदी के पेटे में प्रवाहित हो रहा पानी गंगोत्री से आया निर्मल जल नहीं गंगा के आंसुओं की धार है। उनके कानों में पंडित राज जगन्नाथ की गंगालहरी के स्तवन मंत्रों की जगह दम घुटने से कराहती जाह्नवी का विल




via जागरण धर्म समाचार

http://ift.tt/1isQpqO

0 comments:

Post a Comment

 
TOP