पिछले साल केदारघाटी का मंजर देखने के बाद मन में उत्कंठा थी कि एक बार फिर उन स्थानों को देखूं। आखिर कुछ बदला भी है या नहीं। चार मई को केदारनाथ के कपाट खुलने थे तो मुझे कवरेज के लिए कहा गया। पिछले अनुभवों से मैं जानता था कि यात्रा आसान नहीं। इसलिए दो मई को ही गुप्तकाशी की राह पकड़ ली। ऋषिकेश से 1
via जागरण संत-साधक
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