भक्ति के बिना जीवन निर्थक हो जाता है। भक्त अगर हमेशा प्रभु की भक्ति में तल्लीन रहे तो जीवन निखर उठता है। भक्ति में प्रेम की विशेष अहमियत होती है, लेकिन प्रेम के बिना भक्ति संभव नहीं। संत निरंकारी मंडल के सत्संग में संत मंजीत सिंह ने यह उद्गार व्यक्त किए। प्रेमा भक्ति के मर्म पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि प्रभु, ईश्वर, परमात्मा के
via जागरण धर्म समाचार
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