तमाम रस्मों-रिवाजों को ताक पर रखकर ईश्वर को भजने की एक नई और अनोखी परिभाषा गढ़ने वाले सूफी संत कबीर की जयंती एक बार फिर आ गई। तारीख की मोहताज कबीर जयंती और कुछ सीख दे न दे पर इतना जरूर बताती है कि कैसे एक अनपढ़, अनगढ़ से व्यक्ति ने पूरे विश्व को महज सूत की गांठें सुलझाते सुलझाते और उन्हें बुनते हुए यह बता दिया
via जागरण धर्म समाचार
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