जब तक हमारी इंद्रियां सक्रिय नहीं हैं, हमारे भीतर जागरूकता नहीं है, तब तक गुरु के होते हुए भी हमें गुरु नहीं मिलता। गुरु हमें तभी मिलता है, जब हम पूरी तरह जागरूक हों। गुरु पूर्णिमा (12 जुलाई) पर ओशो का चिंतन.. गुरु की खोज जितनी सरल और सहज हम समझते है, उतनी आसान नहीं है।
via जागरण संत-साधक
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