कभी नाग शिव जी के गले का अलंकरण, कभी विष्णु जी की शय्या तो कभी गणेश जी का जनेऊ बनते हैं। जो भी कल्याणकारी है, उसमें हम देवत्व के दर्शन करते हैं। कृषि व पर्यावरण के लिए उपयोगी सर्पो की पूजा का यही उद्देश्य है। नागपंचमी (1 अगस्त) पर संध्या अतुल टंडन का आलेख.. श्रावण मास की पंचमी तिथि (शुक्लपक्ष) नागों को समर्पित है। श्रीमद्भ
via जागरण धर्म समाचार
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