बिल्कुल बरसाने की अल्हड़ता लिए है चांदपुरगढ़ की लाडली। तभी तो वह सबके हृदय में अधिकारपूर्वक वास करती है। उसकी हल्की सी मुस्कान पर सारे चेहरे खिलखिला उठते हैं और उदासी में आत्मा तक क्रंदन करने लगती है। तभी तो लोकगीतों व जागरों में भी इन्हीं भावों की अभिव्यक्ति हुई है। नंदा की
via जागरण धर्म समाचार
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