Loading...
Friday, August 22, 2014

वात्सल्य से आतिथ्य भाव में पहुंची यात्रा

प्रकृति में कोई भाव स्थायी नहीं होता। सुख, दु:ख, उल्लास और उदासी, हर रंग आता है और चला जाता है। परिवर्तन अटल है और इसी का अहसास करा रहा है नंदा पथ। नौटी से ईड़ा बधाणी और फिर राजकुंवरों के गांव कांसुवा तक की यात्रा में उत्साह के साथ उदासी के रंग साफ नजर आए। मां-बाप, भाई-बहन और सखी सहेलि




via जागरण धर्म समाचार

http://ift.tt/1oXTTe8

0 comments:

Post a Comment

 
TOP