Loading...
Thursday, August 21, 2014

नंदा राजजात: पत्थरों के गांव में भावनाओं का बसेरा

डोली में बैठी नंदा की आंखों से अब भी अश्रु की धारा बह रही है। उसकते-उसकते (सिसकते-सिसकते) वह पर्दे से बाहर झांकती है। ठीक सामने गांव का वही थाल (नंदा चौरा) दिखाई दे रहा है, जहां वह सखियों के साथ हंसी-ठिठोली करती थी। वह घने जंगल, जहां से वह अपने बड़ों के साथ घास-लकड




via जागरण धार्मिक स्थान

http://ift.tt/1ofEArs

0 comments:

Post a Comment

 
TOP