कुछ अटपटा लगता है कि मृत आत्मा के लिए समर्पित पिंड खाने का काम आता है। लेकिन यही सत्य है। भले ही यह भोजन कहीं मजबूरी बस गरीब परिवार करता है। तो कहीं जानवरों का आहार होता है। इसके लिए भी वेदियों पर मारा-मारी है। अलग-अलग टुकड़ों में बंटे हैं चुनने और बीनने वाले। एक स्थान से दूसरे स्थान पर नहीं जा सकते। एक पखवारे
via जागरण धर्म समाचार
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