कर्म का फल अवश्य ही मिलता है। लेकिन फल की इच्छा का त्याग करने से काम में गुणवत्ता तो आती है, व्यक्ति का नैतिक उत्थान भी होता है। आचार्य विनोबा भावे के जन्मदिवस (11 सितंबर) पर उनका गीता-चिंतन. विनोबा भावे (11 सितंबर,1
via जागरण संत-साधक
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