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Friday, May 31, 2013

स्वामी विवेकानंद का चिंतन..

ध्यान के द्वारा हम अपनी भौतिक भावनाओं से अपने आपको स्वतंत्र कर लेते हैं और अपने ईश्वरीय स्वरूप का अनुभव करने लगते हैं। स्वामी विवेकानंद का चिंतन.. आसन, प्राणायाम इत्यादि योग के सहायक हैं अवश्य, लेकिन वे केवल शारीरिक क्रियाएं मात्र हैं। मुख्य तैयारी तो मन की है। सबसे पहल



via जागरण संत-साधक

http://www.jagran.com/spiritual/sant-saadhak-swami-vivekanandas-musings-10439567.html

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