इस पुण्यक्षेत्र में भी एक शक्तित्रिकोण है। इसके एक कोने पर नीलपर्वत पर स्थित भगवती चण्डीदेवी हैं। दूसरे पर हक्षेश्वर के स्थानवाली पार्वती हैं। (यहीं पर सती योगागिन् द्वारा भस्म हुई थीं, जिससे प्रधान शक्तिपीठों की उत्पत्ति हुई। इस स्थान का नाम कनखल है। जहां सती के पिता दक्ष प्रजापति ने यज्ञ शुरू किया था) और तीसरे पर बिल्वपर्वतवासिनी मनसादेवी हैं
via जागरण धर्म समाचार
http://www.jagran.com/spiritual/religion-is-one-of-the-seven-holiest-places-for-hindus-haridwar-10356740.html
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