Loading...
Tuesday, June 11, 2013

कण-कण में व्याप्त हैं भगवान

भगवान कण-कण में विराजमान हैं। यह बौद्धिकता है, किंतु परमात्मा को प्रकट करना हार्दिकता है। तन के लिए जीतना भोजन आवश्यक है, मन के लिए भजन उतना ही आवश्यक है, जैसे बिना भूख के समय होने पर भोजन कर लेते हैं, वैसे ही मन न लगने पर समय से भजन करें।



via Web Dunia

http://hindi.webdunia.com/religion-article/कण-कण-में-व्याप्त-हैं-भगवान-1130611060_1.htm

0 comments:

Post a Comment

 
TOP