राधा-कृष्ण की पावन माटी को कुरेदा तो जैन धर्म की पुलकित कोपलें भी फूट पड़ीं। मथुरा की मूर्तिकला के निशां लिए कंकाली टीले की खुदाई में निकलीं महावीर स्वामी, पाश्र्र्वनाथ और ऋषभनाथ की मूर्तियां निकलीं ब्रजभूमि इन्हें सिर-माथे सहेजने को तैयार थी, लेकिन इन्हें लखनऊ भेज दिया गया।
via जागरण धर्म समाचार
http://www.jagran.com/spiritual/religion-brij-rajs-heritage-capital-10468937.html
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