गीताकार ने अर्जन को और उनके माध्यम से मानव को प्रेरणा दी है कि अपना उद्धार स्वयं करें। अपनी समृद्धि के लिए स्वयं तत्पर, उद्यत हों। अपने उत्थान और पतन की जिम्मेदारियां स्वयं वहन करें। यदि जीवन में हमें ऊंचा उठना है तो हमें स्वयं ही पुरुषार्थ करना होगा। शक्तियों का स्नोत हमारे भीतर है। जब हमारा आत्मबल बढ़ता है तो साहस, धैर्य और लगन की क
via जागरण धर्म समाचार
http://www.jagran.com/spiritual/religion-improve-the-selfcorrection-10650906.html
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