त्रिपुरासुर नामक दैत्य का संहार अत्यंत कठिन था। उसे वरदान प्राप्त था कि उसका अंत तभी होगा जब उसके द्वारा आकाश में निर्मित तीन नगरों (पुरों) पर कोई एक ही साथ प्रहार करने में सफल हो। अंततोगत्वा यह कार्य भगवान शंकर को सौंपा गया तथा त्रिपुरासुर का संहार करने के कारण उन्हें 'त्रिपुरारी' कहा जाने लगा। श्री साईं चरणानुर
via जागरण धर्म समाचार
http://www.jagran.com/spiritual/religion-shivkripa-work-anger-and-greed-overcome-possible-10651051.html
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