Loading...
Saturday, August 17, 2013

विवेकानंद का चिंतन: हम क्षुद्र नहीं

जो व्यक्ति स्वयं को अविनाशी और अनंत आत्मा के रूप में देखने लगता है, उसे दुख नहीं घेरते। स्वामी विवेकानंद का चिंतन.. जो कोई यह सोचता है कि मैं क्षुद्र हूं, वह भूल कर रहा है। क्योंकि सत्ता केवल एक आत्मा की ही है। सूर्य का अस्तित्व इसलिए है, क्योंकि हम कहते हैं कि सूर्य है। जब मैं उद्घोष्ि



via जागरण संत-साधक

http://www.jagran.com/spiritual/sant-saadhak-vivekanandas-musings-we-are-not-trivial-10650909.html

0 comments:

Post a Comment

 
TOP