लक्ष्मी-नारायण मंदिर कोतवाली बाजार धर्मशाला में सोमवार को पांच दिवसीय सत्संग शुरू हुआ। विवेक आश्रम हरिद्वार के संत रामतीर्थ ने कहा कि ब्रह्मनिष्ठ संत कहलाने का हक उसे ही है जिसका अपने मन, बुद्धि, वचन, कर्म व शरीर पर संयम है और जो समाज के प्रति संवेदनशील है। जो समाज में रहकर भी प्रकृति के अनुरूप विरक्त है। जैसे प्रकृति
via जागरण धर्म समाचार
http://www.jagran.com/spiritual/religion-pleasures-in-life-and-do-good-deeds-10695159.html
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