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Tuesday, October 15, 2013

.तब से सब पाहुन पूजन लागे

पत्थर की पूजा क्यों? इस सवाल के जवाब की तलाश में बादशाह अकबर ने तमाम मोटी-मोटी पोथिया पढ़ डालीं। जवाब देने के चक्कर में विद्वानों ने श्रद्धा और आस्था की न जाने कितनी परिभाषाएं गढ़ डालीं। जिज्ञासा का समाधान तब भी गूलर का फूल। फिर बारी आई काशी की ज्ञान गंगा को आजमाने की। किसी भी तरह गुसांई (गोस्वामी तुलसी दास जी ) का मार्गदश



via जागरण धर्म समाचार

http://www.jagran.com/spiritual/religion-gest-worship-then-all-of-revolt-10796278.html

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