बस में सफर करते हुए कभी आपने अपनी सीट किसी वृद्ध को दी, क्या कभी लाइन में खुद से पीछे खड़ी महिला को आगे आने का मौका दिया या फिर अपना पसंदीदा वस्त्र इसलिए किसी गरीब को दे दिया, क्योंकि वह ठंड से ठिठुर रहा था। त्याग और ईश्वर प्रेम की अनूठी मिसाल माना जाने वाला ईद-अल-अजहा का त्योहार इन संदर्भो में बहुत अहमियत रखता है।
via जागरण संत-साधक
http://www.jagran.com/spiritual/sant-saadhak-id-displays-a-sense-of-sacrifice-today-bakr-mnegi-10798192.html
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