दीवाली का त्योहार हो और बच्चे आतिशबाजी न करें यह कैसे संभव है। बड़े भी आतिशबाजी का मोह नहीं छोड़ पाते हैं। हम दिखावे और क्षणिक सुख के लिए आतिशबाजी करते हैं पर वास्तविकता यह है कि पटाखे जलाकर मिलने वाला अस्थायी लुत्फ थोड़ी ही देर बाद प्रदूषण में बदल जाता है। हमें पता भी नहीं होता कि इस क्षणिक सुख के पीछे पर्यावर
via जागरण धर्म समाचार
http://www.jagran.com/spiritual/religion-diwali-fireworks-not-for-momentary-pleasure-10812010.html
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