पूजा-पाठ और अनुष्ठान आदि से कुछ नहीं होगा, जब तक हमारे अंदर ईश्वर को पाने की तीव्र लालसा नहीं उत्पन्न होगी। स्वामी विवेकानंद का चिंतन.. एक शिष्य गुरु के पास गया और बोला, गुरुदेव, मुझे धर्म चाहिए। मुझे ईश्वर चाहिए। गुरुजी उस युवक की ओर देखकर कुछ नहीं बोले, केवल मुस्करा दिए।
via जागरण संत-साधक
http://www.jagran.com/spiritual/sant-saadhak-swami-vivekanandas-musings-gods-longing-10829160.html
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