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Thursday, November 14, 2013

त्यागी व्यक्ति ही निष्काम हो सकता है

त्याग का स्वरूप। त्याग निष्कामता का प्रवेश द्वार है। त्यागी व्यक्ति ही निष्काम हो सकता है। त्याग की पराकाष्ठा ही निष्कामता है। यही वह मानवीय गुण है, जो व्यक्ति का देवत्व से साक्षात्कार कराता है, सांसारिकता से मुक्ति दिलाता है, 'स्व' के दलदल से उबारकर 'पर' के कल्याणार्थ प्रेरित करता है और जीवन को परम संतोषी बनाता है। वैसे त्याग प्रत्यक्षत: क




via जागरण धर्म समाचार

http://www.jagran.com/spiritual/religion-which-does-not-sacrifice-he-would-skip-10861226.html

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