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Monday, November 25, 2013

धर्मशास्त्रियों के मत से हो पंचांगों में समानता

पंचांगों की परंपरा अत्यंत प्राचीन है। साधनों के अभाव में हजारों सालों से पंचांग का निर्माण हो रहा है। यह कभी राज्य पोषित नहीं रहा। इसके बावजूद आज पंचांगों को लेकर तमाम आक्षेप लगाए जा रहे हैं जबकि हकीकत यह है कि यदि पंचांग नहीं होते तो आज धर्म भी नहीं बचा होता। पंचांग के बदौलत ही हम आज भी धर्म, पर्व के बारे में बता पाते




via जागरण धर्म समाचार

http://www.jagran.com/spiritual/religion-do-not-be-theologians-in-almanacs-equality-10887775.html

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