शहर चौराहों और गंगा के दोनों किनारों पर प्रफुल्लित चेहरों को देखकर ऐसा ही लग रहा था कि मानों वे हर क्लेश, संताप को भूलकर नए बरस की अगवानी कर रहे हों। घाटों, गंगा की रेती पर उल्लास, मंदिरों में लगी लाइनों में खड़े सरस्वती पुत्रों (विद्यार्थी) की हर्ष भरे सात्विक तेज से चमकती आंखें मानों कुछ कह रही हों। 'सर
via जागरण धर्म समाचार
http://www.jagran.com/spiritual/religion-new-year-new-umngen-pau-twelve-twelve-were-ringing-happiness-10975434.html
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