जीवन में अधिकांशत: ऐसा होता है कि हम किसी भी घटना, व्यक्ति या संदभरें को पूरी तरह से जाने बिना उस पर प्रतिक्रिया जताने में अपनी ऊर्जा खर्च कर देते हैं परंतु समाज में जो कुछ भी नकारात्मक घट रहा है उसे बेहतर बनाने में इस ऊर्जा का प्रयोग नहीं करते। ऊर्जा के ध्वस्त होते रहने को नियति मान लेते हैं, कर्म से बचने के अनेक उपाय खोज लेते
via जागरण धर्म समाचार
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