श्री नंदा देवी राजजात कोई आम यात्रा नहीं। यह यात्रा है सृजन की, संस्कृति एवं संस्कारों की। इस सबसे बढ़कर संस्कृतियों को एक सूत्र में पिरोने की। इस यात्रा का भौगोलिक लक्ष्य अपने भीतर एक तात्विक शक्ति की संकल्पना समाहित किए हुए है। अगर हम इसे आधुनिक परिप्रेक्ष्य में देखने की कोशिश करें तो यह स्वयं को साधने की यात्रा भी है।
via जागरण धर्म समाचार
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