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Thursday, March 6, 2014

निरर्थक अभिमान

एक प्रतिष्ठित संस्थान में कार्यरत मैनेजर को यह भ्रम हो गया कि उसके बिना संस्थान का काम नहीं चल सकता। चूंकि वह संस्थान के सारे दायित्वों का निर्वहन बहुत अच्छी तरह से कर रहा था, इसलिए मालिक भी उस पर खूब भरोसा करते थे। उसे इसी बात का अभिमान हो गया कि उसके




via जागरण संत-साधक

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