जीवन अच्छी तरह से जीने के लिए, उसके बीच गुजरते हुए ऐसा बहुत कुछ जो अनावश्यक है, आवश्यक सा जान पड़ता है इसीलिए जीने के हर क्षण को उत्सव की तरह जिया जाये तो शक्ति का संचार बना रहता है। संभवत: इसीलिए ऋतुओं के अनुसार बांटी गई भारतीय आध्यात्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं का चलन कभी निरुद्देश्य नहीं रहा। जीने की आकांक्षा और अभि
via जागरण धर्म समाचार
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