दुख हमें बंद कर देता है, जबकि सुख खोलता है। दुखी व्यक्ति अपने चारों ओर कठोर आवरण बनाकर चित्रन की तरह हो जाता है, जबकि एक प्रसन्न व्यक्ति फूल की तरह कोमल होता है, जो खुल-खिल कर सारी दुनिया को अपनी खुशबू दे सकता है। संबोधि दिवस (21 मार्च) पर ओशो का चिंतन.. दुख से लगाव होना एक
via जागरण संत-साधक
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