एक ओर जलते शव दूसरी तरफ होलिका चिंताओं की। क्या धरती और क्या अंबर सब लाल गुलाल और इनसे एकाकार हुई भस्मी चिताओं की जो बाबा के मस्तक पर चढ़ी और निहाल हो गई। उनके गणों के भावों से मिली, हर हर महादेव के घोष रूप में हवा में घुली और सुर ताल हो गई। कुछ ऐसे अनूठे अंदाज में अनोखी काशी की अद्भूत होली गुरु
via जागरण धर्म समाचार
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